June 15, 2025

केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के रघुनाथ कीर्ति परिसर में छात्रों के लिए नए नियम लागू, दिनचर्या होगी अनुशासित..

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केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के रघुनाथ कीर्ति परिसर में छात्रों के लिए नए नियम लागू, दिनचर्या होगी अनुशासित..

 

 

 

उत्तराखंड: केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर उत्तरकाशी में इस वर्ष से छात्रों के लिए कड़े नियम लागू किए जा रहे हैं। अब परिसर में अध्ययनरत विद्यार्थियों को केवल संस्कृत भाषा में ही संवाद करना अनिवार्य होगा। विश्वविद्यालय प्रशासन के अनुसार यह पहल छात्रों में संस्कृत भाषा की व्यवहारिक दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से की गई है। इसके तहत कक्षाओं, परिसर और सभी आधिकारिक संवाद संस्कृत में ही होंगे। इसके साथ ही छुट्टियों की प्रणाली में भी बड़ा बदलाव किया गया है। अब शनिवार और रविवार की नियमित छुट्टियों के स्थान पर चंद्रमा की तिथियों के अनुसार प्रतिपदा, अष्टमी, अमावस्या और पूर्णिमा को अवकाश दिया जाएगा। यह निर्णय वैदिक परंपराओं और पंचांग पर आधारित शिक्षा व्यवस्था को प्रोत्साहित करने के दृष्टिकोण से लिया गया है। परिसर प्रशासन का कहना है कि यह नियम न केवल छात्रों को प्राचीन भारतीय जीवनशैली से जोड़ने में सहायक होंगे, बल्कि उन्हें भाषा और संस्कृति की गहराई से अनुभूति भी कराएंगे।

विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह कदम छात्रों में अनुशासन, संस्कार और परंपरागत जीवनशैली को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया है। छात्रावास में रहने वाले छात्रों को अब प्रातः 4:30 बजे अनिवार्य रूप से उठना होगा। इसके साथ ही रात 9 बजे छात्रों से मोबाइल फोन ले लिए जाएंगे, जो उन्हें अगली सुबह 8 बजे ही लौटाए जाएंगे। यह व्यवस्था छात्रों को डिजिटल व्यसनों से दूर रखकर पढ़ाई और साधना पर ध्यान केंद्रित करने के उद्देश्य से की जा रही है। सभी छात्रों के लिए नियत यूनिफॉर्म पहनना अनिवार्य किया गया है। परिसर में संवाद केवल संस्कृत भाषा में करने का नियम पहले ही लागू किया जा चुका है। इसके साथ ही पारंपरिक अवकाश प्रणाली के तहत अब सप्ताहांत की बजाय चंद्र कैलेंडर के अनुसार प्रतिपदा, अष्टमी, अमावस्या और पूर्णिमा को अवकाश दिया जाएगा। विश्वविद्यालय में नया शैक्षणिक सत्र 16 जून से शुरू होने जा रहा है। प्रशासन का कहना है कि ये सभी कदम छात्रों को भारतीय परंपरा और संस्कृत जीवन शैली से जोड़ने के उद्देश्य से उठाए गए हैं।

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छात्रावास के नियम भी कड़े..

विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि छात्रावास की सुविधा केवल उन्हीं छात्रों को मिलेगी जो सभी अनुशासनात्मक नियमों को मानने के लिए तैयार होंगे। प्रशासन के अनुसार छात्रावास में सीट आवंटन अब मेरिट, छात्र की स्थायी दूरी, और अनुशासन जैसे मानकों के आधार पर किया जाएगा। जो छात्र विश्वविद्यालय परिसर से 20 किलोमीटर की परिधि में रहते हैं, उन्हें हॉस्टल सुविधा नहीं दी जाएगी। इस बार छात्रावास में केवल 550 छात्रों को ही प्रवेश दिया जाएगा, जबकि परिसर की कुल क्षमता 570 सीटों की है। प्रशासन का मानना है कि सीमित संख्या में छात्रों को प्रवेश देकर वे बेहतर अनुशासन और व्यवस्थापन सुनिश्चित कर सकेंगे। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि इन नियमों का उद्देश्य छात्रों को परंपरागत गुरुकुल पद्धति के अनुरूप अनुशासित, संस्कारित और केंद्रित वातावरण प्रदान करना है।

 

शिक्षकों के लिए भी नए नियम

आगामी सत्र से केवल छात्रों के लिए ही नहीं, बल्कि शिक्षकों के लिए भी नए अनुशासनात्मक नियम लागू किए जा रहे हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन का उद्देश्य परिसर को एक संस्कृतनिष्ठ, अनुशासित और परंपरागत शिक्षा केंद्र के रूप में विकसित करना है। परिसर निदेशक प्रो. पीवीबी सुब्रह्मण्यम ने कहा कि शिक्षकों को भी परिधान संबंधी नियमों का पालन करना होगा। अब पुरुष शिक्षकों को धोती या पायजामा-कुर्ता, जबकि महिला शिक्षिकाओं को साड़ी या सलवार-सूट पहनकर आना अनिवार्य किया गया है। यह ड्रेस कोड परिसर की पारंपरिक और सांस्कृतिक गरिमा को बनाए रखने के लिए लागू किया गया है। प्रशासन का मानना है कि इन नियमों के ज़रिए छात्र और शिक्षक दोनों पारंपरिक भारतीय शिक्षा प्रणाली के अनुरूप ढल सकेंगे और परिसर को एक आदर्श संस्कृत शिक्षण संस्थान के रूप में स्थापित किया जा सकेगा।

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A photo

कमल सिंह चौधरी